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FMCI निदेशक राजू कपूर ने इस 2024 में ड्रोन का कृषि में उपयोग बढ़ने की संभावना जताई

FMCI निदेशक राजू कपूर ने इस 2024 में ड्रोन का कृषि में उपयोग बढ़ने की संभावना जताई

केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा किसानों की आमदनी को दोगुना करने का निरंतर प्रयास रहता है। इसी कड़ी में 2024 में उर्वरक और कृषि रसायन छिड़काव में ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा। एफएमसी इंडिया के निदेशक राजू कपूर – कृषि रसायन उद्योग ने वर्ष 2023 में सामने आई चुनौतियों का सामना करते  हुए सतर्क व सकारात्मक आशावाद के साथ 2024 में प्रवेश किया है। 2023 के दौरान कृषि क्षेत्र में जीवीए 1.8% प्रतिशत तक गिर गया। वहीं, कृषि रसायन उद्योग के अंदर प्रमुख चालक बरकरार रहे। इस वजह से इस क्षेत्र को खुद को रीबूट (रीस्टार्ट) करने की आवश्यकता है।

जीवीए से आप क्या समझते हैं ?

सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) किसी अर्थव्यवस्था (क्षेत्र, क्षेत्र या देश) में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के समकुल मूल्य का माप है। जीवीए से यह भी पता चलता है, कि किस विशेष क्षेत्र, उद्योग अथवा क्षेत्र में कितनी पैदावार हुई है। 

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इस 2024 में फसल सुरक्षा उद्योग में वृद्धि की संभावना 

बतादें, कि वर्ष 2023 की द्वितीय छमाही में वैश्विक स्तर पर फसल सुरक्षा उद्योग पर डीस्टॉकिंग (भंडारण क्षमता को कम करना) का विशेष प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है। 2024 के चलते यदि मौसम सही रहा, तो भारतीय फसल सुरक्षा उद्योग में वर्ष की तीसरी/चौथी तिमाही में ही उछाल आने की संभावना है। जो कि समग्र बाजार की गतिशीलता में सामान्य हालात की वापसी का संकेत है। वही, रबी 2023 के लिए बुआई का क्षेत्रफल काफी सीमा तक क्षेत्रीय फसलों के लिए बरकरार है। परंतु, बुआई में दलहन और तिलहन के क्षेत्रफल में गिरावट उद्योग के लिए नकारात्मक है।

एफएमसी इंडिया के उद्योग एवं सार्वजनिक मामले के निदेशक राजू कपूर का कहना है, कि चीन से कृषि रसायनों की ‘डंपिंग’ में नरमी की आशा करनी चाहिए। प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर एक महत्वपूर्ण प्रगति उर्वरक एवं कृषि रसायन छिड़काव के लिए ड्रोन के उपयोग में काफी वृद्धि है। सरकार समर्थित ‘ड्रोन दीदी’ योजना की शुरुआत से इसे बड़ा प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। उर्वरक और कृषि रसायन उद्योग के मध्य शानदार समन्वय से ड्रोन को एक सेवा अवधारणा के तौर में स्थिर करने में सहायता मिलेगी, इसकी वजह से फसल सुरक्षा और पोषण उपयोग दक्षता व प्रभावकारिता में सुधार आऐगा।

खरपतवारों व कीटनाशकों के लिए नियंत्रण योजना

श्री कपूर ने कहा “हमें गेहूं की फसलों में फालारिस जैसे खरपतवारों और गुलाबी बॉलवॉर्म जैसे कीटनाशकों से झूझने के लिए नए अणुओं के अनावरण की भी आशा करनी चाहिए। नवीन अणुओं के विनियामक अनुमोदन के लिए लगने वाले वक्त को तर्कसंगत बनाने के नियामक निकाय केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड की घोषणा से इसे बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।”

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बागवानी उत्पादन की लगातार बढ़ोतरी कवकनाशी की लगातार मांग के लिए सकारात्मक होगी। हालांकि, जेनेरिक उत्पादों को दबाव का सामना करना पड़ सकता है। परंतु, सहायक सरकारी योजनाओं के साथ उद्योग का दूरदर्शी दृष्टिकोण यह सुनिश्चित कर सकता है कि उद्योग विकास मार्ग पर लौट आए। श्री कपूर ने कहा कि 2024 में कृषि उद्योग की संभावनाएं इसके नवाचार एवं रणनीतिक कार्यों की खूबियां हैं। यह क्षेत्र सशक्त खाद्य मांग एवं टिकाऊ कृषि प्रथाओं के प्रति प्रतिबद्धता की वजह से एक साल के विस्तार के लिए तैयार है।

ड्रोन करेंगे खेती, इंसान करेंगे आराम, जानिए क्या है मास्टर प्लान

ड्रोन करेंगे खेती, इंसान करेंगे आराम, जानिए क्या है मास्टर प्लान

देशभर में ड्रोन के जरिये कृषि को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. इसी की तर्ज पर एक कम्पनी ने बड़ा मास्टर प्लान तैयार किया है. जिसमें खेती के लिए ड्रोन ही काफी होंगे. और इंसानों की जरूरत नहीं पड़ेगी. ताजा जानकारी के मुताबिक कृषि में इस्तेमाल किये जाने वाले ड्रोन को बनाने वाली आयोटेक वर्ल्ड एविगेशन ने बड़ा समझौता किया है. यह समझौता कृषि सेक्टर में इंसानों के बजाय ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए किया गया है. महाराष्ट्र के वसंतराव नाईक मराठवाडा कृषि विद्यापीठ के साथ इस समझौते को किया गया है. इस समझौते को लेकर कंपनी ने अपना बयान जारी करते हुए कहा कि, इसका उद्देश्य ड्रोन को प्रद्योगिकी में आगे बढ़ाने के अलावा कृषि उत्पादन को बढ़ाने का है. साथ किसानों के बीच जागरूकता फैलाना भी इसका मुख्य उद्देश्य है.

पहले ही हुई थी साझेदारी की घोषणा

समझौते ज्ञापन की बात करें तो, वसंतराव नाइक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ के कुलपति डॉक्टर इंद्र मणि और स्टार्ट-अप
आईओटी का वर्ल्ड एविगेशन की तरफ से निदेश अनूप कुमार ने साइन किये. बता दें साल 2017 में इसी तरह की साझेदारी की घोषणा की गयी थी.

कृषि क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल को मिलेगा बढ़ावा

जानकारी के मुताबिक समझौता करने वाले दोनों पक्ष कृषि के क्षेत्र में ड्रोन के इस्तेमाल करने को बढ़ावा देंगे. इसके अलावा कृषि प्रशिक्षण केंद्र और आरपीटीओ को बनाने के लिए मिलाकर काम किया जाएगा. आयोतेक वर्ल्ड के सह संस्थापक दीपक भारद्वाज के मुताबिक युनिवर्सिटी के साथ समझौते से कंपनी को ड्रोन टेक्नोलॉजी में और भी ज्यादा खोज करने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा कृषि ड्रोन के लिए रिमोट पायलट आईओटी का वर्ल्ड वीएनएमकेवी के साथ मिलकर इसकी स्थापना में भागीदार होगा. आपको बता दें इससे देश में ड्रोन पायलट की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी. ये भी पढ़ें: सरकार से मिल रहा ड्रोन लेने पर १०० % तक अनुदान, तो क्यों न लेगा किसान मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्टार्टअप का अपना अलग रिमोट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन है. इस ऑर्गनाइजेशन में ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग के साथ ड्रोन पायलेट को लाइसेंस भी दिया जाता है.